एबीएन डेस्क। देश की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति को पुनर्गठित करने ओर इसमें बदलाव लाने की जरूरत है, जिससे इसे अधिक दक्ष बनाया जा सके। देश की प्रमुख इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनी हीरो इलेक्ट्रिक ने यह राय जताई है। कंपनी का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहन नीति में बदलाव कर वांछित बिक्री लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। अप्रैल, 2019 में पेश की गई भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण की योजना-दो (फेम-दो) के तहत मार्च, 2022 तक कम से कम 10 लाख द्रुत गति के इलेक्ट्रिक दोपहया को सड़कों पर लाने का लक्ष्य है। इस नीति को आए दो साल हो गए हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 60,000 इलेक्ट्रिक दोपहिया सड़कों पर आए हैं। 2020 में देश में सिर्फ 25,735 द्रुत गति के इलेक्ट्रिक दोपहिया बिके थे। हीरो इलेक्ट्रिक के प्रबंध निदेशक नवीन मुंजाल ने कहा, इस नीति के दो साल बीते चुके हैं और एक साल शेष हैं लेकिन अब तक इससे सिर्फ 60,000 वाहनों को लाभ हुआ है। अभी तक यह आंकड़ा 6 लाख से अधिक होना चाहिए था। ऐसे में कुछ ऐसा है जो काम नहीं कर रहा। इसके मद्देनजर नीति में बदलाव की जरूरत है। फेम-दो के दूसरे चरण के तहत अधिकतम कारखाना मूल्य वाले 10 लाख पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहन 20,000 (प्रत्येक) रुपए का प्रोत्साहन पाने के पात्र हैं। अभी सिर्फ तेज रफ्तार इलेक्ट्रिक दोपहिया ही फेम-दो योजना का लाभ ले सकते हैं। मुंजाल ने कहा, यह इस तरह है कि यदि हम देखते हैं कि लक्ष्य प्राप्त हो रहा है, तो हम नया उत्पाद या नया प्रकाशन लाते हैं। यदि ऐसा नहीं है, तो हम चीजों में कुछ बदलाव करते हैं। इसी तरह इस नीति में भी बदलाव करने की जरूरत है, क्योंकि मौजूदा रूप में यह वैसा काम नहीं कर रही है, जैसा करने की जरूरत थी।' उन्होंने कहा कि नीति में कई चीजों मसलन गति, दायरे आदि को शामिल किया गया है, जिससे क्षेत्र की वृद्धि प्रभावित हो रही है। ‘यदि आप गति, दायरे आदि को लेकर काफी मानदंड तय कर देते हैं, तो यह सही तरीका नहीं है। यदि निश्चित संख्या में इंटरनल कम्बशन इंजनों को इलेक्ट्रिक में बदलना चाहते हैं, तो आप सब्सिडी का भुगतान शुरुआत में ही कर दें।
एबीएन डेस्क। दुनिया की दिग्गज इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला भारत के तीन शहरों में अपनी कारों का शोरूम खोलने के लिए जगह ढूंढ रही है, ऐसी खबर न्यूज एजेंसी रायटर ने कुछ सूत्रों के हवाले से दी है। रायटर ने यह भी बताया है कि टेस्ला ने भारत में सुनियोजित प्रवेश से पहले लॉबिंग और बिजनेस डेवलपमेंट के लिए एक टॉप एग्जिक्यूटिव को काम पर रखा है। मनुज खुराना प्रधानमंत्री के विज्ञान सलाहकार की अगुआई में परिवहन के भविष्य को लेकर बनाई सरकारी समिति का हिस्सा रह चुके हैं। जनवरी में बनाई लोकल कंपनी, जून तक बेचने लगेगी इंपोर्टेड मॉडल 3 सेडान : टेस्ला ने इसी साल जनवरी में एक लोकल कंपनी बनाई है, जिसके जरिए वह जून तक मॉडल3 सेडान मंगाकर बेचना शुरू कर सकती है। मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी शोरूम और सर्विस सेंटर के लिए दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में 20,000 से 30,000 वर्ग फुट का कमर्शियल स्पेस ढूंढ रही है। अक्टूबर में टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने ट्वीटर पर कहा था कि उनकी कंपनी 2021 में भारत पक्का आएगी, लेकिन ऐसे ट्वीट वे पहले भी कर चुके थे। ऐसे में शोरूम के लिए जगह की तलाश और टॉप एग्जिक्यूटिव की हायरिंग बताती है कि टेस्ला भारत में एंट्री को लेकर काफी तेजी दिखा रही है। टेस्ला ने लॉबिंग के लिए देश में निवेश को बढ़ावा देने वाली सरकारी एजेंसी इनवेस्ट इंडिया के फॉर्मर एग्जिक्यूटिव मनुज खुराना को हायर किया है। टेस्ला ने शोरूम के लिए जगह ढूंढने का काम ग्लोबल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट उइफए ग्रुप इंक को दिया है। स्पेस की तलाश में कई हफ्तों से जुटी उइफए ऐसी जगहों पर फोकस कर रही है जहां रईस कस्टमर्स को आने में आसानी हो। मेट्रो शहरों में लग्जरी कारों के कुछ शोरूम 8,000-10,000 वर्ग फुट एरिया में फैले हैं लेकिन ज्यादातर शोरूम छोटे हैं। दरअसल, दिल्ली और मुंबई में महंगी रियल एस्टेट प्रॉपर्टी की बहुत कमी है और ये प्रॉपर्टी के लिहाज से दुनिया के महंगे शहरों में गिने जाते हैं। खुराना टेस्ला की भारतीय बाजार में एंट्री प्रोसेस पर नजर रखेंगे लेकिन कंपनी के लिए यहां कारोबार करना आसान नहीं होगा। दरअसल, भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए चार्जिंग फैसिलिटी बहुत कम है, इंपोर्टेड कारों पर भारी भरकम टैक्स लगता है और इन गाड़ियों की बिक्री बेहद कम है। पिछले साल देश में कुल 24 लाख गाड़ियां बिकीं जिनमें इलेक्ट्रिक व्हीकल सिर्फ 5,000 थीं जबकि चीन में 12.5 लाख बिकी थीं। हालांकि एनालिस्टों का कहना है कि भारत में रईसों की बढ़ती आबादी को देखते हुए आॅटोमोबाइल कंपनियां इस बाजार को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं। वह भी तब, जब सरकार कम धुआं और गैस छोड़ने वाली ग्रीन गाड़ियों को बढ़ावा दे रही है। टेस्ला ने शुरुआत में गाड़ियां इंपोर्ट करने का प्लान बनाया है लेकिन पिछले महीने नितिन गडकरी ने कहा था कि अगर कंपनी इंडिया में गाड़ियां बनाने का वादा करती है तो सरकार उसकी प्रॉडक्शन कॉस्ट चीन से कम रखने के लिए वाजिब इनसेंटिव आफर करने को तैयार है।
एबीएन डेस्क। कोरोना वायरस का असर आटो इंडस्ट्री से खत्म नहीं हो रहा है। फेडरेशन आफ आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने मार्च में रजिस्ट्रेशन होने वाली गाड़ियों के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इन आकड़ों के मुताबिक, सालाना आधार पर व्हीकल रजिस्ट्रेशन में 28.64% की गिरावट आई है। हालांकि, फरवरी 2021 की तुलना में आंकड़े बेहतर हैं। फरवरी में भी व्हीकल रजिस्ट्रेशन में सालाना आधार पर 13.43% की गिरावट रही थी। बता दें पिछले दो महीने से सिर्फ पैंसेंजर व्हीकल और ट्रैक्टर सेगमेंट में ग्रोथ देखने को मिल रही है। पैंसेंजर व्हीकल सेगमेंट में 28% की ग्रोथ : मार्च में भले ही ओवरआल व्हीकल रजिस्ट्रेशन में गिरावट देखने को मिली, लेकिन इस दौरान पैंसेंजर व्हीकल सेगमेंट में 28.39% की ग्रोथ रही। बीते महीने इस सेगमेंट में 2,79,745 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन हुए। मार्च 2020 में ये आंकड़ा 2,17,879 था। यानी सालाना आधार पर बीते महीने 61,866 पैंसेंजर व्हीकल के रजिस्ट्रेशन ज्यादा हुए। ट्रैक्टर सेगमेंट में 29% की ग्रोथ : कोरोना काल में ट्रैक्टर की बिक्री और रजिस्ट्रेशन में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है। मार्च 2021 में भी इस सेगमेंट में 29.21% की ग्रोथ रही। बीते महीने इस सेगमेंट में 69,082 ट्रैक्टर के रजिस्ट्रेशन हुए। मार्च 2020 में ये आंकड़ा 53,463 था। यानी सालाना आधार पर बीते महीने 15,619 ट्रैक्टर पैंसेंजर व्हीकल के रजिस्ट्रेशन ज्यादा हुए। पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में मारुति का दबदबा : बीते महीने मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड की 1,29,412 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन हुए। मार्च 2020 में कंपनी की 94,355 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन हुए थे। मार्च 2020 की तुलना में कंपनी का मार्केट शेयर बढ़कर 46.26% हो गया। दूसरे नंबर पर 16.34% के साथ हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड रही। उसकी 45,719 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ। टू-व्हीलर मार्केट शेयर में हीरो का दबदबा : टू-व्हीलर सेगमेंट के व्हीकल रजिस्ट्रेशन में यूं तो 35.26% की गिरावट रही है, लेकिन इस बीच सबसे ज्यादा फायदा हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड को हुआ है। मार्च में हीरो की 3,96,573 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन हुए और उसका मार्केट शेयर 33.17% रहा। हालांकि, मार्च 2020 की तुलना में उसका मार्केट शेयर 9.54% गिर गया। मार्केट शेयर में दूसरे नंबर पर 26.19% के साथ होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया रही।
केंद्र सरकार ने एयर कंडीशनर और एलईडी लाइट क्षेत्रों के लिए 6,238 करोड़ रुपये के व्यय से उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि एसी और एलईडी के लिये पीएलआई योजना की मंजूरी से घरेलू विनिर्माण को मजबूती मिलेगी। केंद्र की ओर से लाई गई इस उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना का मकसद देश में विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
एबीएन डेस्क। टाटा ग्रुप की एक और कंपनी का मार्केट कैप आज 1 लाख करोड़ रुपए को पार कर गई। टाटा स्टील की एंट्री आज पहली बार 1 ट्रिलियन m-cap वाली कंपनियों की Elite लिस्ट में हो गई। टाटा स्टील टाटा ग्रुप की चौथी कंपनी है जिसका m-cap 1 लाख करोड़ को पार कर गया। हालांकि, बाजार बंद होने तक टाटा स्टील इस आंकड़े को बरकरार नहीं रख पाई और फिर से इसके m-cap में 1 लाख करोड़ के नीचे फिसल गया। टाटा स्टील के शेयर आज बीएसई पर तेजी के साथ 875 रुपए प्रति शेयर के भाव पर खुला और कुछ ही देर में अपने ऑल-टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया। कंपनी के शेयर आज 882.30 रुपए के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए। यह कंपनी के स्टॉक्स का New 52- Week High है। इसी के साथ कंपनी का M-Cap 1 लाख करोड़ रुपए हो गया लेकिन कंपनी इस मोमेंटम को बरकरार नहीं रख पाई और मुनाफा-वसूली के कारण इसके शेयर आज बीएसई पर 0.52% की गिरावट के साथ 862.85 रुपए पर बंद हुए। वहीं NSE पर इसके स्टॉक्स में 0.71% की गिरावट आई और ये 861.55 रुपए पर बंद हुए। इससे कंपनी की बाजार पूंजी 1 लाख करोड़ से फिसलकर 99,285 करोड़ रुपए पर आ गई। टाटा स्टाल के शेयर पिछले एक साल में 220% चढ़े हैं। एक साल पहले इसके शेयर की कीमत केवल 276 रुपए थी जो अब बढ़कर 882 रुपए तक पहुंच गई है। मेटल स्टॉक्स में तेजी शेयर बाजार में आज मेटल स्टॉक्स में तेजी देखी गई। टाटा स्टील के स्टॉक्स जहां गिरावट के साथ बंद हुए, वहीं JSW Steel, सेल (SAIL) और JSPL के शेयर में 1.5% से 2.3% तक की तेजी आई। Axis Securities ने अपने नोट में कहा कि डॉलर में कमजोरी और चीन में मेटल और माइनिंग सेक्टर में तेजी आने के साथ मिड टर्म में मेटल स्टॉक्स में अपट्रेंड जारी रहने की उम्मीद के कारण आज मेटल स्टॉक्स में तेजी आई। वहीं, Edelweiss Securities ने अपने नोट में कहा कि चीन से स्टील आयात में कटौती होने की संभावना है। इस वजह से घरेलू स्टील कंपनियों के स्टील की कीमतों में इजाफा होगा। इस वजह से Edelweiss Securities ने टाटा स्टाल का टार्गेट प्राइस 770 रुपए, SAIL का टार्गेट प्राइस 85 रुपए और JSPL का टार्गेट प्राइस 378 रुपए दिया है।
एबीएन डेस्क। दक्षिण कोरिया की इलेक्ट्रॉनिक कंपनी एलजी ने अपने घाटे वाले मोबाइल फोन कारोबार से बाहर निकलने की घोषणा की है। कंपनी ने सोमवार को कहा कि अब वह इलेक्ट्रिक वाहन कलपुर्जे, रोबोटिक्स, आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआई) और अन्य उत्पादों व सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। कंपनी ने एक बयान में कहा कि एलजी के निदेशक मंडल ने रणनीति में बदलाव की मंजूरी दे दी है। कंपनी जुलाई के अंत तक मोबाइल फोन कारोबार से पूरी तरह बाहर निकल जाएगी। किसी समय एलजी तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल फोन कंपनी थी। लेकिन बाद में चीन की कंपनियों और अन्य प्रतिद्वंद्वियों से उसने अपनी बाजार हिस्सेदारी गंवा दी। काउंटरपॉइंट टेक्नोलॉजी मार्केट रिसर्च के अनुसार एलजी उत्तरी अमेरिका में अब भी तीसरे नंबर पर है। उसकी बाजार हिस्सेदारी 13 प्रतिशत है। 2020 की तीसरी तिमाही में उत्तरी अमेरिका में एप्पल 39 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ पहले और सैमसंग 30 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर थी। एलजी ने इससे पहले कहा था कि वह अपनी रणनीति का आकलन कर रही है। 2020 की तीसरी तिमाही में उसकी बिक्री एक साल पहले की तुलना में पांच प्रतिशत बढ़ी है, लेकिन प्रीमियम उत्पादों की बिक्री सुस्त रहने से उसका मुनाफा घटा है।
विश्व बैंक का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में उम्मीद से ज्यादा सुधार दिखा है। इसने पिछले एक साल साल में महामारी और लॉकडाउन से उबरकर आश्चर्यजनक रूप से वापसी की है। हालांकि, खतरा अभी टला नहीं है। विश्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा, 2021-22 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.5 फीसदी से 12.5 फीसदी के बीच रह सकती है। हालांकि, यह इस पर निर्भर करेगी कि टीकाकरण अभियान कैसे आगे बढ़ रहा है, कौन से नए प्रतिबंध लगाए जाते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था कितनी जल्दी ठीक हो जाती है। दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के सामने आने से पहले ही अर्थव्यवस्था सुस्त थी। भारत में हर किसी को टीका लगाना सबसे बड़ी चुनौती विश्व बैंक के दक्षिण एशिया के मुख्य अर्थशास्त्री हंस टिमर ने कहा, यह आश्चर्यजनक है कि भारत एक साल पहले के मुकाबले कितना आगे आ गया है। एक साल पहले मंदी कितनी गहरी थी। लेकिन, अब कारोबारी गतिविधियां खोल दी गई हैं। टीकाकरण शुरू हो गया है। हालांकि, भारत में हर किसी को टीका लगाना भी सबसे बड़ी चुनौती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों में भारी तेजी है. भारत में बड़े पैमाने पर सरसों तेल का इस्तेमाल होता है. लेकिन इस बार सरसों की नई आवक के बावजूद इसके दाम घटे नहीं है घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम काफी बढ़ गए हैं. पिछले साल की तुलना में इस साल खाद्य तेलों कीमतों में अब तक 80 फीसदी तक कीमतों में बढ़ोतरी हो चुकी है. दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों में भारी तेजी है. भारत में बड़े पैमाने पर सरसों तेल का इस्तेमाल होता है. लेकिन इस बार सरसों की नई आवक के बावजूद इसके दाम घटे नहीं है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें ज्यादा होने की वजह से आयातक ऊंचे भाव पर खाद्य तेलों का बड़े पैमाने पर आयात करने से बच रहे हैं. फरवरी में खाद्य तेलों का आयात 27 फीसदी घटकर 7.96 लाख टन रह गया. जबकि चालू तेल वर्ष की नवंबर-फरवरी के दौरान आयात में 3.7 फीसदी गिरावट दर्ज की गई. पाम तेल की कीमतों में उछाल से देश में बढ़े खाद्य तेल की कीमतें भारत में पाम तेल का बड़े पैमाने पर आयात होता है . ज्यादातर ढाबों, रेस्तराओं और पैकेटबंद फूड, स्नैक्स में पाम तेल का इस्तेमाल होता है. पिछले एक साल के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में आरबीडी पामोलीन का भाव 590 डॉलर से बढ़कर 1,100 डॉलर, क्रूड पाम तेल का भाव 580 डॉलर से बढ़कर 1120 डॉलर प्रति टन हो चुका है. घरेलू बाजार में आयातित आरबीडी पामोलीन 70 फीसदी बढ़कर 120-125 रुपये और क्रूड पाम तेल 80 फीसदी बढ़कर 115 रुपये से 117 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. इससे देश में खाद्य तेलों के दाम काफी बढ़ गए हैं. देश में खाद्य तेलों की ब्लेडिंग में भी पाम आयल का इस्तेमाल होता है. यही वजह है कि देश में खाद्य तेल के दाम बढ़ रहे हैं. सरसों तेल के दाम में 40 फीसदी तक बढ़ोतरी पिछले एक एक साल में घरेलू खाद्य तेलों में सरसों तेल के दाम 85-90 रुपये से बढ़कर 120-125 रुपये हो गए हैं. रिफाइंड सोया तेल 80-85 रुपये से बढ़कर 125-130 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. इस दौरान मूंगफली तेल के दाम करीब 30 फीसदी बढ़कर 155-160 रुपये हो गए हैं. वहीं सूरजमुखी तेल के दाम दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर 185-190 रुपये प्रति किलो हो चुके हैं.अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह मुख्य पाम उत्पादक देश मलेशिया व इंडोनेशिया में फसल कमजोर होने के साथ सट्टेबाजी है.
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