सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों और फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है कि पहली अप्रैल से देशभर में श्रम कानून के नये नियम लागू कर दिये जायेंगे। केंद्र सरकार नए श्रम कानूनों के तहत देश में कंपनियों में कर्मचारियों के लिए कैंटीन जरूरी करने और सरकारी योजनाओं को मजबूती से लागू करने के लिए वेलफेयर आॅफिसर नियुक्त करने के नियम बनाए हैं। केंद्र सरकार की तरफ से पिछले साल जारी व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020 में इस बारे में खास प्रावधान किए गए हैं, जिन्हें सभी हितधारकों के साथ चर्चा के बाद लागू किया जा सकता है। सरकार प्रवासी मजदूरों के हितों को ध्यान पर रखते हुए यह भी नियम लागू करेगी कि अगर कंपनी उन्हें साइट पर ले जा रही है और काम खत्म होने पर वो घर लौट रहे हैं, तो उन्हें यात्रा भत्ता देना भी जरूरी होगा। ओवरटाइम के नियमों में भी बदलाव किया गया है। नए नियमों के हिसाब से कामकाजी घंटों के बाद अगर कामगार से 15 मिनट भी ज्यादा काम कराया गया तो उसे ओवरटाइम माना जाएगा। पहले यह दायरा आधा घंटा हुआ करता था। कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर हो या फिर स्थायी उस पर लगातार लगातार पांच घंटे से ज्यादा काम का दबाव नहीं बनाए जाने के भी प्रावधान तय किए गए हैं। कंपनी के लिए उसे हर पांच घंटे में आधे घंटे का ब्रेक देना जरूरी किया जाएगा। साथ ही ब्रेक का यह समय भी कामकाजी घंटों में ही जोड़ा जाएगा।
कानून व्यवस्था एक ऐसा शब्द है जो आये दिन खबरों के माध्यम से आप सुनते और पढ़ते हैं। यह शब्द केवल खबरों के लिहाज से ही नहीं बल्कि सामाजिक तौर पर भी महत्वपूर्ण है। बेहतर कानून व्यवस्था अच्छे समाज और माहौल का निर्माण करती है। क्या है कानून व्यवस्था : किसी भी राज्य, शहर अथवा क्षेत्र में शांति बनाये रखना, अपराधों पर नियंत्रण कर इसे कम करना और नागरिकों को सुरक्षा देना कानून व्यवस्था का मुख्य अंग है। अक्सर जहां कहीं राजनीतिक या सामाजिक बवाल या टकराव होता है या फिर माहौल तनावपूर्ण हो जाता है, तो कानून व्यवस्था का संकट खड़ा हो जाता है। यानी किसी क्षेत्र में अशांति या हिंसा होना भी कानून व्यवस्था का सकंट ही होता है। कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी : भारत का गृह मंत्रालय देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मामलों के लिए उत्तरदायी है। यह आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए कानून अधिनियमित करता है। देश में पुलिस बल को सार्वजनिक व्यवस्था का रख-रखाव करने और अपराधों की रोकथाम और उनका पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश का अपना अलग पुलिस बल है। राज्यों की पुलिस के पास ही कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है। कानून व्यवस्था में केंद्र की भूमिका : भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य के विषय हैं। अपराध रोकना, पता लगाना, दर्ज करना, जांच-पड़ताल करना और अपराधियों के विरुद्ध अभियोजन चलाने की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों और खासकर पुलिस को दी गई है। संविधान के मुताबिक ही केंद्र सरकार पुलिस के आधुनिकीकरण, अस्त्र-शस्त्र, संचार, उपस्कर, मोबिलिटी, प्रशिक्षण और अन्य अवसंरचना के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। एनसीआरबी है मददगार : कानून व्यवस्था और अपराधों से संबंधित घटनाओं को रोकने के लिए केन्द्रीय सुरक्षा और सूचना एजेंसियां राज्य की कानून और प्रवर्तन इकाइयों को नियमित रूप से जानकारी देती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) गृह मंत्रालय की एक नोडल एजेंसी है, जो अपराधों को बेहतर ढंग से रोकने और नियंत्रित करने के लिए राज्यों की सहायता करती है। और राज्यों को अपराध संबंधी आंकड़े जुटाने और उनका विश्लेषण करती है। सीसीआईएस भी है सहायक : अपराध अपराधी सूचना प्रणाली (सीसीआईएस) के तहत देश के सभी जिलों में जिला अपराध रिकार्ड ब्यूरो (डीसीआरबी) और राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एससीआरबी) को कंप्यूटरीकृत प्रणाली से जोड़ दिया गया है। यह प्रणाली अपराध रोकने, उनका पता लगाने और सेवा प्रदाता तंत्रों में सुधार करने में सहायक है। इसकी मदद के पुलिस और कानूनी प्रवर्तन एजेंसियां अपराधों, अपराधियों और अपराध से जुड़ी संपत्ति का राष्ट्र स्तरीय डाटाबेस रखती हैं। कानून व्यवस्था को मजबूत करेगी ओसीआईएस : एनसीआरबी के दिशा निर्देश में संगठित अपराध के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के मकसद से एक और नई प्रणाली स्थापित की जा रही है। जिसे संगठित अपराध सूचना प्रणाली यानी ओसीआईएस का नाम दिया गया है। इसके तहत विभिन्न अपराधों से संबंधित आंकड़े आसानी से उपलब्ध होंगे जो कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने में सहायक साबित होंगे।
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