कानून व्यवस्था

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Published / 2024-08-02 21:19:43
झारखंड : एक अधिकारी आरोपमुक्त, एक के वेतन वृद्धि पर रोक

टीम एबीएन, रांची। राज्य सरकार ने झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी प्रभात भूषण सिंह को आरोप मुक्त किया है। वहीं कुमुदिनी टुडू को दो वेतन वृद्धि का दंड अधिरोपित किया है। प्रभात भूषण सिंह, झा0प्र0से0 (तृतीय बैच, कोटि क्रमांक-236/20) को आरोप मुक्त किया है। 

कुमुदिनी टुडू, झा0प्र0से0(कोटि क्रमांक-35/20), तत्कालीन अंचल अधिकारी, नामकुम, राँची के विरूद्ध असंचयात्मक प्रभाव से 02(दो) वेतन वृद्धि पर रोक का दंड अधिरोपित किया जाता है। इस संबंध में कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग में संकल्प जारी किया है।

Published / 2024-07-26 21:51:39
आरबीआई ने जारी किया त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई प्रारूप

  • RBI ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई प्रारूप जारी किया

एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) प्रारूप जारी किया। इस पहल का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उचित समय पर उपयुक्त हस्तक्षेप किया जा सके। 

प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए पीसीए प्रारूप के प्रावधान एक अप्रैल, 2025 से प्रभावी होंगे। पीसीए प्रारूप जारी करने का मतलब है कि संबंधित वित्तीय इकाइयों पर आरबीआई उचित समय पर हस्तक्षेप कर सके। इस प्रारूप का मकसद है कि शहरी सहकारी बैंक समय पर सुधारात्मक कदम उठाएं और उन्हें लागू करें ताकि उनकी वित्तीय सेहत बहाल हो सके। 

रिजर्व बैंक ने कमजोर शहरी सहकारी बैंकों और वित्तीय दबाव से गुजर रहे यूसीबी में जरूरी सुधारों के लिए प्रारंभिक हस्तक्षेप उपकरण के तौर पर पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा (एसएएफ) जारी किया था। एसएएफ को आखिरी बार जनवरी 2020 में संशोधित किया गया था। 

आरबीआई ने एक बयान में कहा, यह पीसीए प्रारूप अब शहरी सहकारी बैंकों के लिए एसएएफ की जगह लेगा। संशोधित ढांचा किसी मामले में जोखिमों के आकलन के आधार पर उस इकाई के लिए विशिष्ट पर्यवेक्षी कार्य योजनाएं तय करने के लिए लचीलापन लाना चाहता है। 

आरबीआई ने कहा, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लागू समान ढांचे के साथ पीसीए ढांचे को सुसंगत बनाया गया है। इसमें आनुपातिक महत्व के अंतर्निहित सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए जरूरी संशोधन किये गये हैं। रिजर्व बैंक के मुताबिक, पीसीए ढांचा काफी हद तक सिद्धांत-आधारित है, जिसमें एसएएफ की तुलना में कम मानदंड होने के बावजूद पर्यवेक्षी कठोरता में कोई कमी नहीं है।

संशोधित पीसीए ढांचे में पूंजी, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता के बिंदुओं पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। यह ढांचा छोटे यूसीबी (टियर 1 यूसीबी) को छोड़कर सभी शहरी सहकारी बैंकों पर लागू होगा। रिजर्व बैंक ने विनियामक उद्देश्यों के लिए शहरी सहकारी बैंकों को चार स्तरों में वर्गीकृत किया हुआ है।

Published / 2024-07-25 21:22:05
रांची : विवेक सुमन किये गये आरोपमुक्त

टीम एबीएन, रांची। राज्य सरकार ने बिवेक कुमार सुमन, झा0प्र0से0 (कोटि क्रमांक-399/20), तत्कालीन प्रभारी पदाधिकारी, जिला सामान्य शाखा, गोड्डा एवं प्रभारी जिला आपूर्ति पदाधिकारी, गोड्डा को आरोप मुक्त किया है। 

इस संबंध में कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग में संकल्प जारी किया है।

Published / 2024-07-17 21:22:56
अब बच्चों की आर्थिक हैसियत से तय होगा माता-पिता का गुजारा भत्ता

मां-बाप की सुध : बच्चों की हैसियत के अनुरूप गुजारा भत्ता

एबीएन सेंट्रल डेस्क। यह विडंबना है कि हमारे सामाजिक ताने-बाने में तेजी से आये बदलाव के बीच वृद्ध माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। अदालतों में गुजारा-भत्ते से जुड़े विवाद बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार वृद्ध माता-पिता की देखभाल के लिए बाध्य करने वाले 2007 के कानून में बदलाव लाकर, इसका दायरा बढ़ाने के मकसद से नये कानून लाने की तैयारी में है। 

माता-पिता और बुजुर्गों की देखभाल से जुड़े वर्षों पुराने कानून को प्रभावी व व्यावहारिक बनाने की कोशिश है। पहले वृद्ध माता-पिता अपनी संतानों से दस हजार रुपये तक का गुजारा भत्ता पाने के हकदार थे। बताया जा रहा है कि नये विधेयक के अनुसार अब माता-पिता का गुजारा भत्ता बच्चों की आर्थिक हैसियत से तय होगा। वहीं बच्चों के साथ कटुता कम करने के प्रयासों में माता-पिता व बुजुर्गों को त्यागने अथवा दुर्व्यवहार पर बच्चों को दी जाने वाली सजा में कमी करने की तैयारी है। 

सामाजिक संगठनों से विमर्श में यह बात सामने आयी थी कि लंबी सजा से माता-पिता और बच्चों के संबंधों में ज्यादा खटास बढ़ती है। कहा जा रहा है कि सरकार बजट सत्र में इस विधेयक को पेश कर सकती है। दरअसल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने बुजुर्गों की देखभाल से जुड़े 2007 के कानून में बदलाव की पहल तब की, जब समाज में बुजुर्गों की अनदेखी व दुर्व्यवहार के मामले तेजी से बढ़े हैं। 

दरअसल, नये विधेयक में इससे जुड़े कानून की व्यावहारिक दिक्कतों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, मंत्रालय ने कानून में बदलाव की पहल वर्ष 2019 में कर दी थी। इसी साल लोकसभा में एक विधेयक भी पेश किया गया था। इसके व्यापक पहलुओं की पड़ताल के लिए विधेयक को बाद में संसदीय समिति के पास भेज गया था। संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने एक बार फिर एक विधेयक को संसद में पेश किया था। लेकिन वह पारित नहीं हो पाया था।

कालांतर 17वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के कारण विधेयक निष्प्रभावी हो गया था। जिसके बाद अब सरकार नये सिरे से इस विधेयक को संसद में लाने की तैयारी में है। उल्लेखनीय है कि इस विधेयक में कई नये प्रावधानों को जोड़ा गया है। एक ओर जहां गुजारा भत्ते के सीमित दायरे को खत्म किए जाने का प्रावधान है, वहीं विगत में आए बच्चों की सजा बढ़ाने के प्रस्ताव को टाला गया है। अब इसे सिर्फ प्रतीकात्मक तौर पर ही रखा जायेगा। 

वहीं गुजारा भत्ता देने की जवाबदेही का विस्तार करते हुए अब पात्र बच्चों के दायरे में दामाद, पुत्रवधु,नाती-पोते, पोती-नातिन व अल्पवयस्क बच्चों के विधिक अभिभावकों को भी शामिल किया गया है। अब तक इस जवाबदेही के दायरे में बेटा-बेटी व दत्तक बेटा-बेटी ही शामिल थे। इसके अलावा विधेयक में प्रत्येक जिले में बुजुर्गों की गणना, मेडिकल सुविधाओं से लैस वृद्ध आश्रम व जिला स्तर पर एक सेल गठित करने जैसे प्रावधान हैं।

Published / 2024-07-17 21:19:49
सरकारी घोषित हुई माफिया अतीक की 50 करोड़ की बेनामी संपत्ति

एबीएन सेंट्रल डेस्क। माफिया अतीक अहमद की अपराध से अर्जित करीब 50 करोड़ रुपये मूल्य की कुर्क की गई बेनामी संपत्ति को न्यायालय (गैंगस्टर) ने राज्य सरकार के पक्ष में निहित कर दिया है। जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) गुलाब चंद्र अग्रहरि ने बताया कि अतीक अहमद ने अपराध की कमाई से यह संपत्ति लालापुर के राजमिस्त्री हूबलाल ने नाम पर खरीदी थी।

लगभग 2.377 हेक्टेयर भूमि की उस समय कीमत 12.42 करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर थी। उन्होंने बताया कि हूबलाल के नाम पर जमीन का बैनामा करते समय अतीक अहमद द्वारा कहा गया था कि जरूरत पड़ने पर इस जमीन का बैनामा वह अपने नाम करा लेगा। अग्रहरि ने कहा कि पुलिस आयुक्त न्यायालय द्वारा इस संपत्ति को गैंगस्टर एक्ट की धारा 14 (1) के तहत कुर्क किया गया और जवाब दाखिल करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया। लेकिन इस तीन महीने के भीतर संबंधित पक्ष ने जमीन के पक्ष में कोई साक्ष्य नहीं पेश किया।

उन्होंने बताया कि इसके बाद पुलिस आयुक्त न्यायालय ने इस मामले में पत्रावली को न्यायालय (गैंगस्टर) के पास भेज दिया। मंगलवार को न्यायाधीश विनोद कुमार चौरसिया ने पुलिस आयुक्त की कार्यवाही को उचित और न्यायसंगत माना और अपराध से अर्जित इस बेनामी संपत्ति को राज्य सरकार के पक्ष में निहित कर दिया। 

पुलिस के मुताबिक, अतीक के खिलाफ गैंगस्टर कानून के तहत दर्ज मुकदमे की विवेचना के दौरान पता चला कि एयरपोर्ट थाना क्षेत्र में हूबलाल के नाम पर अतीक की संपत्ति है। पूछताछ में हूबलाल ने बताया कि अतीक ने वर्ष 2015 में धमकाकर उसके नाम पर यह जमीन लिखवाई थी। पुलिस ने नवंबर, 2023 में इस जमीन को कुर्क कर दिया था।

उल्लेखनीय है कि उमेश पाल हत्याकांड सहित 100 से अधिक आपराधिक मामलों में नामजद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पिछले वर्ष 15 अप्रैल को प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में गोली मारकर हत्या कर दी गयीथी। वहीं अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, गुड्डू मुस्लिम, अशरफ की पत्नी जैनब सहित कई अभियुक्त अब भी फरार हैं।

Published / 2024-07-10 21:47:03
डायन बताकर जानलेवा हमला करने वाली महिला आरोपी को नहीं मिली अग्रिम जमानत

टीम एबीएन, रांची।  सोनाहातु थाना क्षेत्र अंतर्गत लान्दुपडीह गांव में डायन कहकर पत्थर से कुचल कर जानलेवा हमला करने वाली महिला करूणा देवी पति फणिभूषण महतो की अग्रिम जमानत याचिका आज न्यायायुक्त दिवाकर पांडेय की अदालत ने खारिज कर दी। 

उल्लेखनीय है कि पिछले 27 मई को लान्दुपडीह गांव की एक विधवा वृद्ध महिला करुणा देवी पति चित्तरंजन महतो को घर के पीछे गोबर लीपने के दौरान गांव की ही करूणा देवी पति फणिभूषण महतो ने गाली गलौज करते हुए पत्थर से सिर और चेहरा में कुचल कर बुरी तरह से घायल कर दिया था। 

इस संबंध में वृद्ध महिला के पुत्र बिपिन बिहारी महतो ने सोनाहातु थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता मृत्युंजय प्रसाद ने आरोपी महिला की अग्रिम जमानत का पुरजोर विरोध किया।

Published / 2024-07-06 23:05:52
19 तक जेल में ही रहेंगे पूर्व डीसी छवि रंजन

  • रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन सहित सात की न्यायिक हिरासत अवधि बढ़ायी गयी

टीम एबीएन, रांची। चेशायर होम रोड की एक एकड़ जमीन की बिक्री से जुड़े मनी लाउंड्रिंग मामले में आरोपित रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन सहित सात की न्यायिक हिरासत अवधि पीएमएलए कोर्ट ने दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी है। 

इससे पूर्व जेल में बंद आरोपितों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शुक्रवार को पेश किया गया। अदालत ने अगली पेशी की तिथि 19 जुलाई निर्धारित की है। वर्तमान में यह मामला आरोप गठन के बिंदु पर सुनवाई पर लंबित है। आरोपितों को पुलिस पेपर सौंप दिया गया है। 

मामले में रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन, प्रेम प्रकाश, भरत प्रसाद, राजेश राय, इम्तियाज अहमद, अफसर अली और मो सद्दाम न्यायिक हिरासत में है। जबकि कारोबारी विष्णु अग्रवाल को हाई कोर्ट से जमानत प्राप्त है। वहीं एक आरोपित पुनीत भार्गव फरार चल रहा है।

Published / 2024-07-02 20:58:26
झारखंड : नये कानून के तहत शुरू हो गये एफआइआर

देश में लागू हुए 3 नये अधिनियम कानून, झारखंड के सभी राज्यों में नई व्यवस्था के तहत की जा रही है एफआइआर

टीम एबीएन, रांची। 1 जुलाई से पूरे देश में 3 नये अधिनियम कानून लागू हो गये हैं। इसे लेकर झारखंड पुलिस ने कार्य प्रारंभ कर दिया है। सभी राज्यों में नयी व्यवस्था के तहत प्राथमिकी दर्ज की जा रही है। गिरिडीह के एसपी दीपक ने बताया कि 3 नए अधिनियम के आधार पर अब परिवर्तित धाराओं में कांड दर्ज किये जायेंगे। इसमें पूरे सिस्टम को पूरी न्यायिक प्रणाली को और पूरे कानून को पारदर्शी बनाने का हर संभव प्रयास किया गया है। 

उन्होंने बताया कि अब घटना कहीं भी हो, व्यक्ति कोई भी हो, प्राथमिकी किसी भी थाना में जाकर दर्ज करवायी जा सकती है। उस प्राथमिकी की, प्राथमिकी के बाद आगे की कार्रवाई की जानकारी आवेदक को समय- समय पर मिलती जायेगी।   

एसपी दीपक ने बताया कि यह बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम है। इस व्यवस्था में पारदर्शिता रहेगी और लोगों का भरोसा कानून व्यवस्था पर बढ़ेगा। एसपी ने बताया कि इन नये कानून अपराध नियंत्रण और विधि व्यवस्था संधारण में पुलिस को काफी सहयोग मिलेगा। आर्थिक अपराध, आतंकवाद, महिला हिंसा समेत कई मामले में नए कानून का समावेश, धाराओं को समावेश किया गया है। उन्होंने बताया कि महिला हिंसा के मामले में कठोर सजा का समावेश हुआ है।

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