टीम एबीएन, रांची। रांची: झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों के मामले में झारखंड उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य में उपायुक्त द्वारा संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए नहीं होने की गलत जानकारी दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। साहिबगंज में 4 बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात कही गई है, लेकिन उपायुक्त ने किसी भी तरह के घुसपैठ होने से इनकार किया है।
दूसरी ओर केंद्र सरकार कह रही है कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने प्रवेश किया है, जिससे वहां किसी खास समुदाय की आबादी बढ़ गई है।गलत जानकारी देने के लिए कोर्ट उपायुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई भी शुरू कर सकती थी, लेकिन कोर्ट का मकसद संथाल परगना में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के माध्यम से बांग्लादेशियों का घुसपैठ हो रहा है या नहीं इसकी सही जानकारी प्राप्त करना है।
अगर बांग्लादेशी घुसपैठिए संथाल परगना में प्रवेश पा रहे हैं, तो उसकी रोकथाम जरूरी है। झारखंड उच्च न्यायालय में आज सुनवाई के दौरान वर्चुअली रूप से जुड़े सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार के गृह सचिव एवं झारखंड के मुख्य सचिव मिलकर संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों की जांच को लेकर हाई पावर कमेटी बनाने के संबंध में निर्णय लेंगे। हाई पावर कमेटी के संबंध में लिए गए निर्णय को केंद्र सरकार शपथ पत्र के माध्यम से दाखिल करेगी।
मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों के संथाल परगना में अवैध प्रवेश को लेकर दानियल दानिश की जनहित याचिका पर आज सुनवाई की। दरअसल, उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार की ओर से शपथ दाखिल कर कहा गया है कि एनआरसी के माध्यम से संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजा जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि संथालपरगना में ट्राइबल की आबादी 42त्न से घटकर 28त्न हो गई है। पाकुड़ एवं साहिबगंज में वर्ष 2011 तक मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 35त्न बढ़ गई है। वहीं पूरे संथालपरगना में मुस्लिम समुदाय की आबादी वर्ष 2011 तक 13त्न बढ़ गई है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश की गयी। इसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट सौंपी थी।
मंत्रिमंडल के समक्ष रिपोर्ट पेश करना विधि मंत्रालय के 100 दिन के एजेंडे का हिस्सा है। उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद 100 दिन के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गयी।
समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक क्रियान्वयन समूह गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था। उसने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों को बचाने, विकास और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने, लोकतंत्र की नीव को मजबूत करने और भारत की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।
समिति ने भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों से विचार-विमर्श कर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की भी सिफारिश की। अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की है जबकि नगर निगमों और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराते हैं।
समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित करने की जरूरत होगी।
एक मतदाता सूची और एक मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों के लिए कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, विधि आयोग भी एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट जल्द ही पेश कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ चुनाव कराने के प्रबल समर्थक रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि विधि आयोग सरकार के तीन स्तरों-लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं तथा पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने और त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड उच्च न्यायालय से राज्य सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री डॉ इरफान अंसारी को झटका लगा है। न्यायालय ने मंत्री डॉ इरफान अंसारी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने दुमका सिविल कोर्ट द्वारा चार्ज फ्रेम किये जाने को चुनौती दी थी। वहीं, याचिका खारिज होने के बाद अब ट्रायल द्वारा इस मामले की सुनवाई शुरू करेगा।
दरअसल, अंसारी की याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण कुमार राय की कोर्ट में सुनवाई हुई। अंसारी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने बहस की। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में दुष्कर्म की शिकार हुई एक बच्ची की फोटो अस्पताल से वायरल होने के मामले में इरफान अंसारी के खिलाफ अदालत ने संज्ञान लिया था।
इस मामले में इरफान अंसारी के खिलाफ जामताड़ा थाना में केस दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि विधायक अंसारी के मोबाइल से बच्ची का फोटो वायरल हुआ। दुमका के एमपी-एमएलए कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। दुमका सिविल कोर्ट ने 21 दिसंबर 2022 में इरफान अंसारी के खिलाफ चार्जफ्रेम किया था।
टीम एबीएन, रांची। अगर आपने अभी तक अपना आधार नहीं अपडेट किया है तो ये खबर आपके काम की साबित हो सकती है। 14 सितंबर को आधार को फ्री में अपडेट करने की सर्विस बंद होने वाली है। वास्तव में दस साल से अधिक समय पहले जारी किए गए और उसके बाद अपडेट नहीं किए गए आधार कार्डों को रीवैलिडेशन के लिए पहचान प्रमाण और अड्रेस प्रूफ डॉक्युमेंट्स की जरुरत होगी। इसकी लास्ट डेट 14 सितंबर तय की गई है। डेडलाइन खत्म होने के बाद यूआईडीएआई की ओर से किसी भी अपडेट पर 50 रुपए का चार्ज लिया जायेगा।
आधार आथेंटिफिकेशन में वेरिफिकेशन के लिए यूआईडीएआई के केंद्रीय पहचान डेटा रिपॉजिटरी यानी सीआईडीआर में डेमोग्राफिक्स या बायोमेट्रिक जानकारी के साथ आधार नंबर सब्मिट करना जरूरी है। इसके बाद यूआईडीएआई अपने पास मौजूद जानकारी के आधार पर डिटेल की एक्युरेसी पर अपनी मुहर लगाता है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की पेंशन योजना के दायरे में आने वाले पेंशनभोगी जनवरी से किसी भी बैंक या उसकी शाखा से पेंशन ले सकेंगे। श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा कि मांडविया ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) 1995 के लिए एक केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली (सीपीपीएस) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। वह एढऋड के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) के चेयरपर्सन भी हैं।
बयान के अनुसार, केंद्रीकृत पेंशन भुगतान व्यवस्था से पूरे देश में किसी भी बैंक या किसी भी शाखा के माध्यम से पेंशन का वितरण हो सकेगा।
मंत्री ने कहा, सीपीपीएस की मंजूरी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आधुनिकीकरण की दिशा में मील का पत्थर है। इसके तहत पेंशनधारक देश में कहीं भी, किसी भी बैंक, किसी भी शाखा से अपनी पेंशन प्राप्त कर सकेंगे। यह पहल लंबे समय से चली आ रही पेंशधारकों की समस्याओं का समाधान करती है। यह व्यवस्था एक निर्बाध और कुशल वितरण प्रणाली सुनिश्चित करती है।
उन्होंने कहा कि यह ईपीएफओ को अपने सदस्यों और पेंशनधारकों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए अधिक मजबूत, उत्तरदायी और तकनीक-सक्षम संगठन में बदलने के हमारे प्रयासों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली से ईपीएफओ के 78 लाख से अधिक ईपीएस-95 पेंशनधारकों को लाभ होने की उम्मीद है। केंद्रीकृत प्रणाली पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) को एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में स्थानांतरित करने की आवश्यकता के बिना पूरे देश में पेंशन का निर्बाध वितरण सुनिश्चित करेगी।
यह उन पेंशनधारकों के लिए बड़ी राहत होगी जो सेवानिवृत्ति के बाद अपने गृहनगर चले जाते हैं। ईपीएफओ की यह सुविधा 1 जनवरी, 2025 से ईपीएफओ की चल रही सूचना प्रौद्योगिकी आधुनिकीकरण परियोजना केंद्रीकृत आईटी युक्त प्रणाली (सीआईटीईएस 2.01) के हिस्से के रूप में शुरू की जाएगी। अगले चरण में, सीपीपीएस आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) में एक सुचारु परिवर्तन लाएगी।
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि नयी प्रणाली मौजूदा पेंशन वितरण प्रक्रिया से महत्वपूर्ण बदलाव है, जिसके तहत ईपीएफओ के प्रत्येक क्षेत्रीय/क्षेत्रीय कार्यालय को केवल तीन-चार बैंकों के साथ अलग-अलग समझौते करने पड़ते थे। इसमें कहा गया है कि अब पेंशनभोगियों को पेंशन शुरू होने के समय सत्यापन के लिए बैंक शाखा में जाने की जरूरत नहीं होगी और भुगतान जारी होने पर तुरंत जमा कर दिया जायेगा। इसके साथ ही ईपीएफओ को उम्मीद है कि नयी प्रणाली से पेंशन वितरण लागत में महत्वपूर्ण कमी आयेगी।
एबीएन सेंट्रल डेस्क (प्रयागराज)। रेल यात्रियों को यात्रा के दौरान किन्नरों द्वारा जबरदस्ती पैसे वसूलने व परेशान किये जाने संबंधी शिकायतों पर तीनों मंडलों से 59 किन्नरों को गिरफ्तार किया है। जिसमें 6900 रुपये जुर्माना वसूलते हुए 20 किन्नरों को जेल भेज दिया है।
वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी अमित मालवीय ने मंगलवार को बताया कि रेलयात्रियों की शिकायतों को गम्भीरता से लेते हुये प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त रेल सुरक्षा बल अमिय नन्दन सिन्हा के निर्देशन में 19 अगस्त से 02 सितम्बर तक अभियान चलाया गया।
उत्तर मध्य रेलवे के तीनों मण्डलों प्रयागराज, आगरा एवं झांसी में किन्नरों के विरूद्व सघन चेकिंग अभियान चलाकर उनके विरूद्ध विधिक कार्यवाही की गयी। अभियान में रेल अधिनियम-1989 की विभिन्न संबंधित धाराओं के अन्तर्गत 59 किन्नरों को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अभियान भविष्य में भी निरन्तर जारी रहेंगे, ताकि रेल यात्रियों की यात्रा सुरक्षित व सुगम हो सके। यात्रियों की सुरक्षा में रेल सुरक्षा बल उत्तर मध्य रेलवे सदैव तत्पर है।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड उच्च न्यायालय ने केंद्र और झारखंड सरकार को राज्य में आदिवासियों के धर्मांतरण पर तत्काल जवाब दाखिल करने का बीते शुक्रवार को निर्देश दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति अरुण कुमार राय की खंडपीठ इस मुद्दे पर सोमा उरांव नामक व्यक्ति द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय को बताया गया कि राज्य के भीतरी इलाकों में आदिवासियों को गुमराह किया जा रहा है और कभी-कभी उन्हें अलग-अलग धर्म अपनाने के लिए लुभाया जा रहा है। अदालत को बताया गया कि झारखंड में कई कार्यक्रम (चंगाई सभा) आयोजित किए जा रहे हैं और ऐसे आयोजनों से भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह किया जाता है, जो बाद में एक अलग धर्म अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं। झारखंड सरकार और केंद्र इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने में विफल रहे।
सरकारी वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों में आदिवासियों के धर्मांतरण के संबंध में आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत इस मामले पर पांच सितंबर को फिर सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ता के वकील रोहित रंजन सिन्हा ने पीठ को बताया कि इसी प्रकार की एक जनहित याचिका भारत के उच्चतम न्यायालय में भी लंबित है।
उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि डेनियल डेनिश द्वारा दायर एक अन्य जनहित याचिका में भी आदिवासियों के धर्मांतरण को उजागर किया गया है। अदालत ने ओरांव और डेनिश द्वारा दायर दोनों जनहित याचिकाओं को संलग्न करने का आदेश दिया और इन पर एक साथ सुनवाई की जायेगी।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारत सरकार नौकरीपेशा लोगों के लिए भी समय-समय पर कई बड़े कदम उठाती रहती है। इस कदम के तहत जॉब वाले कर्मचारियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जाती है। ऐसा एक बड़ा कदम एम्पलाइज प्रोविडेंड फंड आगेर्नाइजेशन के रूप में उठाया गया है।
दरअसल आगेर्नाइज्ड सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारी पीएफ के जरिए न सिर्फ अपना धन संचय करते हैं बल्कि भविष्य भी सुरक्षित करते हैं। ऐसे ही ईपीएफओ से जुड़े करोड़ों कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर सामने आयी है। दरअसल ईपीएफओ के तहत आपकी जॉब खत्म होने यानी आपके रिटायर्ड होने के बाद भी आपको अच्छी खासी पेंशन मिलती है।
आइये जानते हैं कि जॉब खत्म होने के बाद भी आप ईपीएफओ के जरिए किसी तरह मालामाल बन सकते हैं। पीएफ खाते में कर्मचारी के साथ-साथ नियोक्ता यानी जहां वह काम करता है वो कंपनी भी अपना सेम राशि के रूप में कंट्रीब्यूशन करती है। दरअसल, ईपीएफओ सरकारी संस्था है इसे भारत सरकार की ओर से ही संचालित किया जाता है।
खास बात यह है कि ईपीएफओ के तहत कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के बाद भी पेंशन मिलती है और यह पेंशन एक दो नहीं बल्कि 6 तरह की होती है। आगेर्नाइज्ड यानी संगठित क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों का ईपीएफओ के तहत खाता होता है।
इसी खाते में उन्हें अपने वेतन का 12 फीसदी हर माह जमा करना होता है। इसमें कंपनी की ओर से भी सहयोग दिया जाता है। यह जमा राशि दो हिस्सों में होती है। 8.33 प्रतिशत हिस्सा खुद कर्मचारी के वेतन से कटता है जो पेंशन फंड के रूप में जमा होता है। वहीं 3.67 फीसदी हिस्सा कर्मचारी के प्रोविडेंट फंड यानी पीएफ में क्रेडिट हो जाता है।
Subscribe to our website and get the latest updates straight to your inbox.
टीम एबीएन न्यूज़ २४ अपने सभी प्रेरणाश्रोतों का अभिनन्दन करता है। आपके सहयोग और स्नेह के लिए धन्यवाद।
© www.abnnews24.com. All Rights Reserved. Designed by Inhouse