एबीएन सेंट्रल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में बाल विवाह के पूरी तरह खात्मे के उद्देश्य से कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सरकार को विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि बाल विवाह अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने के अधिकारों का हनन है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि बाल विवाह या यहां तक की किसी बच्चे की सगाई भी अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने के अधिकार का हनन है। एक गैरसरकारी संगठन सोसाइटी फॉर एनलाइटेनमेंट एंड वालंटरी एक्शन (सेवा) ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया था कि देश में बाल विवाह की स्थिति गंभीर है और इसकी रोकथाम के लिए बनाये गये कानूनों पर उनकी भावना के अनुसार अक्षरश: अमल नहीं किया जा रहा है।
गैरसरकारी संगठन सेवा देश से 2030 तक पूरे देश से बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य के साथ काम कर रहे बाल विवाह मुक्त भारत (सीएमएफआई) अभियान का सहयोगी संगठन है। इस फैसले से भारत में इन प्रयासों को और मजबूती मिलेगी जो पहले से ही बाल विवाह के खिलाफ अभियान का वैश्विक नेता है। पिछले एक साल में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान और इसके सहयोगी गैरसरकारी संगठनों के प्रयासों से देश में सफलतापूर्वक 120,000 बाल विवाह रुकवाये गये। इसके अलावा, सरकार के प्रयासों से बाल विवाह की दृष्टि से संवेदनशील 11 लाख बच्चों का विवाह होने से रोका गया।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने बचाव-संरक्षण-अभियोजन रणनीति और समुदाय आधारित दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा, कानून तभी सफल हो सकता है जब बहुक्षेत्रीय समन्वय हो। कानून प्रवर्तन अधिकारियों के प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। हम एक बार फिर समुदाय आधारित दृष्टिकोण की जरूरत पर जोर देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राहत जताते हुए याचिका दायर करने वाले गैरसरकारी संगठन सेवा की अल्का साहू और सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल गोराना अग्नि ने कहा, याचिकाकर्ता होने के नाते हम इस ऐतिहासिक फैसले के लिए हृदय से सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं। यह फैसला हमारे देश से बाल विवाह के खात्मे की दिशा में एक बेहद अहम कदम है। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के माध्यम से हम सभी इस बुराई के खिलाफ संघर्ष के लिए इकट्ठा और एकजुट हुए हैं और हमारी लड़ाई बच्चों के लिए एक सुनहरे व सुरक्षित भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के संस्थापक भुवन ऋभु ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भारत और पूरी दुनिया के लिए नजीर बताते हुए कहा, यह ऐतिहासिक फैसला सांस्थानिक संकल्प को मजबूती देने की दिशा में निर्णायक बिंदु साबित होगा। यह देश से बाल विवाह के समग्र उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बेहद अहम जीत है। सुप्रीम कोर्ट और सरकार के प्रयासों ने दिखाया है कि उन्हें बच्चों की परवाह है और अब समय आ गया है कि हम सभी आगे आएं और साथ मिलकर इस सामाजिक अपराध का खात्मा करें।
ऋभु ने कहा- अगर हम अपने बच्चों की सुरक्षा करने में विफल हैं तो फिर जीवन में कोई भी काम मायने नहीं रखता। सुप्रीम कोर्ट ने एक समग्र दृष्टिकोण की जरूरत को फिर मजबूती से रेखांकित किया है और पिकेट रणनीति के जरिए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान भी इसी पर जोर देता रहा है। बाल विवाह अपने मूल रूप में बच्चों से बलात्कार है। यह निर्णय सिर्फ हमारे संकल्प को ही मजबूती नहीं देता बल्कि इस बात को भी रेखांकित करता है कि जवाबदेही और साझा प्रयासों से हम बच्चों के खिलाफ हिंसा के सबसे घृणित स्वरूप बाल विवाह का खात्मा कर सकते हैं।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान 200 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन है जो 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए पूरे देश में काम कर रहे हैं। ये सभी सहयोगी संगठन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक समग्र रणनीति पिकेट पर अमल कर रहे हैं जिसमें नीति, संस्थान, संम्मिलन, ज्ञान, परिवेश, तकनीक जैसी चीजें शामिल हैं। धार्मिक नेताओं और समुदायों के साथ साझा प्रयासों से इसने इस अपराध के खात्मे के लिए 4.90 करोड़ लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलायी है।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दीपावली, छठ और गुरु पर्व पर आतिशबाजी के लिए समय का निर्धारण कर दिया है। इन तीनों पर्व पर दो घंटे तक आतिशबाजी की जा सकेगी, जबकि क्रिसमस और न्यू ईयर पर इसके लिए मात्र 35 मिनट का समय तय किया गया है। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे लेकर दिशा-निर्देश तैयार किये हैं।
इसके अनुसार, दीपावली की रात को आठ बजे से दस बजे तक ही पटाखे चलाने की इजाजत होगी। छठ के दिन सुबह छह से आठ, गुरु पर्व पर रात आठ से दस तथा क्रिसमस एवं नववर्ष पर 31 दिसंबर की रात 11 बजकर 55 मिनट से 12:30 बजे तक आतिशबाजी की अनुमति होगी। झारखंड हाईकोर्ट ने भी 16 अक्टूबर को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान रांची में शहर में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर सख्ती से रोक लगाने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर शिकायतें दर्ज कराने वालों के नाम हर हाल में गोपनीय रखे जायें। इस मामले में कोर्ट ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश भी जारी किया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से पारित आदेश के आलोक में आतिशबाजी के लिए मापदंड निर्धारित किये हैं। झारखंड के उन शहरों में जहां वायु गुणवत्ता का स्तर अच्छा या संतोषप्रद है, वहां निर्धारित समय पर ही पटाखे चलाये जा सकेंगे। पटाखों की बिक्री को लेकर भी निर्देश जारी किये गये हैं।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने राज्य के पेयजल स्वच्छता विभाग में हुए घोटाले को लेकर राजधानी रांची सहित राज्य के कई ठिकानों पर एक साथ आज यानी सोमवार की सुबह से छापेमारी कर रही है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि छापेमारी भारतीय प्रशासनिक सेवा की वरिष्ठ अधिकारी मनीष रंजन और मंत्री मिथलेश ठाकुर से जुड़े लोगों के लगभग 20 ठिकानों पर की जा रही हैं। रांची के बरियातू स्थित आईएएस मनीष रंजन की बहन के घर पर भी ईडी ने छापेमारी की है। आईएएस रंजन के अलावा मंत्री मिथलेश ठाकुर के पीएस हरेंद्र सिंह, मंत्री के भाई विनय ठाकुर सहित कई विभागीय इंजीनियर्स के यहां छापेमारी की जा रही है।
यह मामला जल जीवन मिशन में अनियमितता से जुड़ा बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह रेड जल जीवन मिशन में हुए 20 करोड़ से अधिक अवैध निकासी से जुड़ा हुआ है। वहीं, मंत्री मिथिलेश ठाकुर से जुड़े कई ठिकानों पर चल रही ईडी की छापेमारी के बीच मंत्री मिथिलेश ठाकुर का बड़ा बयान आया है।
कैबिनेट की बैठक में प्रोजेक्ट मंत्रालय पहुंचे मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले ही उन पर बीजेपी में शामिल होने का दबाव था। उन्होंने कहा कि मैं बीजेपी में शामिल नहीं हो रहा हूं इसलिए दबाव बनाने के लिए ये राजनीतिक रेड भाजपा करवा रही है। उन्होंने कहा कि मैं टूट जाऊंगा लेकिन झुकूंगा नहीं और भाजपा में शामिल नहीं होऊंगा।
मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि चुनाव नजदीक आता देख और ख़ुद की खराब स्थिति देख भाजपा की ओर से ये राजनीतिक रेड करवाया जा रहा है। मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि ईडी को शाम तक मीडिया को बताना चाहिए कि रेड में उनको मेरे पीएस और मेरे आवास पर क्या कुछ मिला। उन्हें बताना चाहिए कि कितने रुपये और कितनी संपत्ति उन्हें रेड में मिली और क्या कागजात मिले।
टीम एबीएन, रांची। ईडी ने एक बार फिर मंगलवार को झारखंड में दबिश डाली है। दरअसल, प्रर्वतन निदेशालय ने एक वकील के साथ साथ धनबाद के डीटीओ दिवाकर प्रसाद द्विवेदी, जय कुमार राम, प्रभात भूषण, संजीव पांडे, रवि नामक व्यक्तियों के ठिकानों पर छापा मारा है। ये कार्रवाई पंडरा थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर की गयी है।
धनबाद के बुधवार सुबह ईडी की टीम धनबाद के डीटीओ दिवाकर प्रसाद के देव विहार स्थित आवास दो गाड़ियों में सवार होकर पहुंची। जहां से उन्हें भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ है। अपार्टमेंट में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है। बता दें इससे पहले भी उनसे कई बार पूछताछ हो चुकी है।
दरअसल रांची के एक कारोबारी और वकील ने एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए पंडरा ओपी में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। दरअसल, जमीन कारोबारी संजीव पांडेय ने ईडी को मैनेज करने के नाम पर अधिवक्ता सुजीत सिंह पर छह करोड़ रुपये ठगने का आरोप लगाया था। इधर, अधिवक्ता का कहना है कि पैसे नहीं लौटाने पर जमीन कारोबारी ने उनका अपहरण कर लिया था।
किसी तरह वे उनकी चंगुल से छूटे और पंडरा ओपी पहुंचकर मामला दर्ज कराया। उन्होंने दर्ज कराये गये केस में जमीन कारोबारी संजीव पांडेय, सीओ प्रभात भूषण, दिवाकर द्विवेदी सहित तीन सीओ का नामजद आरोपी बनाया है। इसी मामले में ईडी ने ये कार्रवाई की है।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। सीबीआईसी के अधिकारी ने कहा कि सरकार फर्जी जीएसटी पंजीकरण की जांच के लिए लक्षित कार्रवाई कर रही है और अधिक भौतिक सत्यापन हो रहा है। कर अधिकारियों ने जीएसटी के तहत करीब 10,700 फर्जी पंजीकरण का पता लगाया है, जिनमें 10,179 करोड़ रुपये की कर चोरी शामिल है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के सदस्य शशांक प्रिय ने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पंजीकरण के लिए आधार प्रमाणीकरण पहले से ही 12 राज्यों में लागू है और चार अक्टूबर तक अन्य चार राज्य को भी इसमें शामिल किया जायेगा।
अंतत: मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सहित 20 राज्य आधार प्रमाणीकरण शुरू करेंगे। एसोसिएटेड चैंबर्स आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री आॅफ इंडिया (एसोचैम) के एक कार्यक्रम में शशांक प्रिय ने कहा कि भविष्य में कर अधिकारी नए करदाताओं पर उनके जोखिम प्रोफाइल के आधार पर कुछ पाबंदियां भी लगा पायेंगे।
उन्होंने कहा, वे एक महीने में कितने बिल जारी कर सकते हैं, हम भविष्य में उसपर भी कुछ पाबंदियां लगा सकते हैं हम इस प्रणाली के दुरुपयोग से बेहद दुखी हैं। हमें इन्हें रोकने के लिए सभी संभव तरीकों का इस्तेमाल करना होगा। सीबीआईसी के अधिकारी ने कहा कि सरकार फर्जी जीएसटी पंजीकरण की जांच के लिए लक्षित कार्रवाई कर रही है और अधिक भौतिक सत्यापन हो रहा है। फर्जी पंजीकरण के खिलाफ 16 अगस्त से शुरू हुआ दूसरा अखिल भारतीय अभियान 15 अक्टूबर तक चलेगा।
उन्होंने कहा कि कर अधिकारियों ने 67,970 जीएसटीआईएन (माल एवं सेवा कर पहचान संख्या) की पहचान की है। इनमें से 59 प्रतिशत जीएसटीआईएन या 39,965 का सत्यापन 22 सितंबर तक हो चुका है। प्रिय ने कहा, इनमें 27 प्रतिशत ऐसे संस्थान पाये गये हैं जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। यह प्रतिशत पिछले अभियान की तुलना में करीब समान है। हमने 10,179 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया है। 2,994 करोड़ रुपये की इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) को रोका गया है। साथ ही 28 करोड़ रुपये की वसूली भी की गई है (22 सितंबर तक दूसरे अभियान में)।
फर्जी पंजीकरण के खिलाफ पहला अभियान 16 मई से 15 जुलाई, 2023 के बीच चलाया गया था। इसमें जीएसटी पंजीकरण वाली कुल 21,791 ऐसी इकाइयां पायी गयी थीं जो अस्तित्व में नहीं थीं। पिछले साल पहले विशेष अभियान में 24,010 करोड़ रुपये की संदिग्ध कर चोरी का पता चला था। उन्होंने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में बेमेल आंकड़ों की समस्या है, जिसके कारण पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में कर अधिकारियों द्वारा 1,12,852 कारण बताओ नोटिस जारी किये गये।
उन्होंने साथ ही कहा कि भविष्य में जब जीएसटीआर-1ए और इनवॉयस मैनेजमेंट सिस्टम (आईएमएस) स्थिर हो जाएंगे तो जीएसटीआर-3बी को संपादित करने की सुविधा की आवश्यकता नहीं होगी। जीएसटीआर-1ए करदाताओं को बाहरी आपूर्ति या बिक्री रिटर्न फॉर्म (जीएसटीआर-1) में संशोधन करने का विकल्प देता है, जबकि जीएसटीआर-3बी का इस्तेमाल मासिक करों का भुगतान करने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा, जीएसटीएन एक अक्टूबर से आईएमएस शुरू करेगा जो करदाताओं को सही इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) प्राप्त करने के लिए अपने आपूर्तिकर्ताओं द्वारा जारी किये गये रिकॉर्ड/बिल का मिलान करने की सुविधा देगा। आईएमएस करदाताओं को मंच के जरिये अपने आपूर्तिकर्ताओं के साथ बिल में सुधार/संशोधन करने में भी सक्षम बनायेगा।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) अपने सदस्यों को कई सुविधाएं प्रदान करता है, जिनमें से एक है जरूरत के समय आंशिक निकासी की सुविधा। सदस्य अपने पीएफ खाते में जमा राशि से कुछ राशि निकाल सकते हैं, और यदि खाते में कम से कम पांच वर्षों तक योगदान किया गया हो, तो यह निकासी टैक्स मुक्त होती है। हालांकि, अगर कोई 5 साल से पहले राशि निकालता है, तो 10% स्रोत पर कर कटौती देना होगा।
सदस्य अपनी या परिवार के किसी सदस्य की चिकित्सा जरूरतों के लिए खाते से अधिकतम एक लाख रुपये तक की निकासी कर सकते हैं। यह सीमा पहले 50,000 रुपये थी, जिसे 10 अप्रैल के बाद बढ़ा दिया गया है। ईपीएफओ के इस नियम में हाल ही में बदलाव हुआ है, जिससे मेडिकल निकासी की सीमा को दोगुना किया गया है।
सुविधा का लाभ उठाने के लिए ईपीएफओ की वेबसाइट पर निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो किया जा सकता है :
टीम एबीएन, रांची। झारखंड में जेएसएससी सीजीएल परीक्षा के कारण इंटरनेट सेवा बंद किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की बेंच में इस मामले की शनिवार को सुनवाई की गयी।
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा कि इंटरनेट बंद करने के लिए क्या पॉलिसी है? क्या सभी परीक्षाओं में इसी तरह इंटरनेट बंद कर दिया जायेगा? हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में एफिडेविट के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
प्रार्थी अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने आज शनिवार को ही हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसे शनिवार को अवकाश के बावजूद अधिसूचित किया गया और खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के बाद राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
झारखंड में इंटरनेट सेवा शनिवार को दोपहर पौने दो बजे से बहाल हो गयी है। इंटरनेट सेवा शुरू होते ही राज्य के लोगों ने राहत की सांस ली। झारखंड स्टेट सर्विस कमीशन (जेएसएससी) की ओर से आयोजित जेएसएससी सीजीएल परीक्षा को लेकर सुबह 5 बजे से इंटरनेट सेवा ठप थी। पौने दो बजे के बाद इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गयी है।
झारखंड सरकार ने शुक्रवार को इंटरनेट सेवा बंद किए जाने को लेकर आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा में धांधली रोकने को लेकर 21 और 22 सितंबर को सुबह 8 बजे से 1:30 बजे तक इंटरनेट सेवा बंद की जा रही है। परीक्षा के दौरान इंटरनेट बंद रखा जायेगा। पेपर लीक रोकने और पारदर्शी परीक्षा कराने को लेकर ये कदम उठाया जा रहा है। हालांकि सुबह पांच बजे से ही इंटरनेट सेवा ठप थी।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। अगर आप भी पीएफ से पैसा निकालने की सोच रहे हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर आई है। सरकार ने पर्सनल जरूरतों के लिए निकाली जाने वाली राशि की लिमिट में बढ़ोतरी कर दी है।
केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के ग्राहक अब पर्सनल जरूरतों के लिए अपने खातों से एक बार में 1 लाख रुपए तक निकाल सकते हैं, जो कि ₹50,000 की पिछली सीमा से अधिक है।
श्रम मंत्रालय ने ईपीएफओ के संचालन में कई बदलाव लागू किये हैं, जिसमें लचीलापन और जवाबदेही बढ़ाने, ग्राहकों के लिए असुविधाओं को कम करने के लिए एक नया डिजिटल ढांचा और अद्यतन दिशानिर्देश शामिल हैं।
मंत्री के अनुसार इसके अतिरिक्त, नए कर्मचारी जिन्होंने अपनी वर्तमान नौकरी में अभी छह महीने पूरे नहीं किये हैं, वे अब धन निकालने के पात्र हैं, जो कि पिछली सीमा से अलग है।
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