टीम एबीएन, रांची। रविवार को निर्वाचन सदन, धुर्वा में पत्रकार वार्ता करते हुए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने कहा है कि दूसरे चरण के चुनाव प्रचार का कार्य सोमवार शाम थम गया। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार की समाप्ति के साथ चुनाव कार्य को लेकर वहां गये (जो वहां के वोटर नहीं हैं) राजनीतिक लोगों को वहां से चले जाना होगा।
ऐसे लोगों को कैंपेन की अवधि समाप्ति के बाद पकड़े जाने पर उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि 20 नवंबर को मतदान कराने के लिए पोलिंग पार्टियां 19 नवंबर को अपने-अपने मतदान केंद्रों पर जायेंगी। इस चरण के चुनाव में किसी भी बूथ पर हेलीड्रापिंग से मतदान कर्मियों को नहीं भेजा जायेगा।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने कहा कि निजी वाहन पर किसी तरह का बोर्ड, बैनर आदि लगा कर चलने पर कार्रवाई होगी। इसके लिए परिवहन विभाग को निर्देशित किया गया है कि वे चेकिंग करें और किसी भी वाहन पर बोर्ड, बैनर आदि मिलने पर मोटर ह्वैकिल नियमों के तहत यथोचित कार्रवाई सुनिश्चित करें।
उन्होंने बताया कि दूसरे चरण के 14,218 बूथों में से 48 बूथ को यूनिक बूथ के रूप में विकसित किया गया है। वहीं महिलाओं द्वारा संचालित मतदान केंद्रों की संख्या 239 है। 22 मतदान केंद्र दिव्यांगजनों द्वारा संचालित होंगे। जबकि, युवाओं के हाथों में 26 मतदान केंद्रों की व्यवस्था रहेगी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने बताया कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से लेकर अब तक 196 करोड़ से अधिक की अवैध सामग्री और नकदी की जब्ती की जा चुकी है।
वहीं आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले में अब तक 85 लोगों पर एफआइआर दर्ज किया गया है। बता दें कि इस चरण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो, विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो, मंत्री इरफान अंसारी, हफीजुल हसन, दीपिका पांडेय सिंह और बेबी देवी जैसे दिग्गज नेताओं के भाग्य का फैसला होगा।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने रांची की निचली अदालत में दर्ज शिकायतवाद व संज्ञान आदेश को चुनौती देनेवाली क्रिमिनल रिट याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। अदालत ने प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद मामले के प्रतिवादी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। साथ ही धौनी को जवाब दायर करने को कहा।
प्रार्थी मिहिर दिवाकर की ओर से अधिवक्ता अवनीश शेखर ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि महेंद्र सिंह धोनी ने अरका स्पोर्ट्स एंड मैनेजमेंट प्रालि के निदेशक मिहिर दिवाकर व उनकी पत्नी सौम्या दास पर 15 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए रांची की निचली अदालत में शिकायतवाद दायर किया है।
उसकी सुनवाई करते हुए निचली अदालत ने प्रार्थी के खिलाफ संज्ञान आदेश पारित किया है। अधिवक्ता शेखर ने शिकायतवाद व संज्ञान आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मिहिर दिवाकर व अन्य ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की है।
उन्होंने दर्ज शिकायतवाद व निचली अदालत द्वारा 20 मार्च को मामले में आरोपी मिहिर दिवाकर और उनकी पत्नी सौम्या दास के खिलाफ लिये गये संज्ञान आदेश को चुनौती दी है। अदालत ने आरोपी मिहिर दिवाकर, उनकी पत्नी सौम्या दास व उनकी कंपनी अरका स्पोर्ट्स मैनेजमेंट को समन जारी किया था।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। अगर आपने अभी तक अपने पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक नहीं किया है, तो इसे 31 दिसंबर से पहले जरूर कर लें। ऐसा न करने पर आपका पैन कार्ड निष्क्रिय हो सकता है, जिससे आपको वित्तीय लेन-देन में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
सरकार ने यह कदम वित्तीय धोखाधड़ी रोकने के लिए उठाया है, क्योंकि कई फिनटेक कंपनियां बिना अनुमति के पैन डेटा का गलत उपयोग कर रही थीं। गृह मंत्रालय ने आयकर विभाग को निर्देश दिया है कि पैन के माध्यम से व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को बढ़ाया जाये।
ध्यान दें: यह अंतिम तारीख नजदीक है, ऐसे में जल्द से जल्द आधार-पैन लिंक करें और अपनी वित्तीय पहचान को सुरक्षित रखें।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने 7:2 के बहुमत के फैसले में मंगलवार को कहा कि संविधान के तहत सरकारों को आम भलाई के लिए निजी स्वामित्व वाले सभी संसाधनों को अपने कब्जे में लेने का अधिकार नहीं है। हालांकि, भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि सरकारें कुछ मामलों में निजी संपत्तियों पर दावा कर सकती हैं।
प्रधान न्यायाधीश द्वारा सुनाये गये बहुमत के फैसले में न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर के पिछले फैसले को खारिज कर दिया गया जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत वितरण के लिए सरकारों द्वारा अधिगृहीत किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अपने और उस पीठ के छह अन्य न्यायाधीशों के लिए फैसला लिखा, जिसने इस जटिल कानूनी सवाल पर निर्णय किया कि क्या निजी संपत्तियों को अनुच्छेद 39 (बी) के तहत समुदाय के भौतिक संसाधन माना जा सकता है और आम भलाई के वास्ते वितरण के लिए सरकार के अधिकारियों द्वारा अपने कब्जे में लिया जा सकता है। इसने उन कई फैसलों को पलट दिया, जिनमें समाजवादी सोच को अपनाया था और कहा गया था कि सरकारें आम भलाई के लिए सभी निजी संपत्तियों पर कब्जा कर सकती हैं।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने प्रधान न्यायाधीश द्वारा लिखे गए बहुमत के फैसले से आंशिक रूप से असहमत जताई, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने सभी पहलुओं पर असहमति जतायी। फैसला अभी सुनाया जा रहा है। अनुच्छेद 31सी, अनुच्छेद 39(बी) और (सी) के तहत बनाए गए कानून की रक्षा करता है जो सरकार को आम भलाई के वास्ते वितरण के लिए निजी संपत्तियों सहित समुदाय के भौतिक संसाधनों को अपने कब्जे में लेने का अधिकार देता है।
शीर्ष अदालत ने 16 याचिकाओं पर सुनवाई की जिनमें 1992 में मुंबई स्थित प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन (पीओए) द्वारा दायर मुख्य याचिका भी शामिल थी। पीओए ने महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) अधिनियम के अध्याय 8-ए का विरोध किया है। 1986 में जोड़ा गया यह अध्याय सरकारी प्राधिकारियों को उपकरित भवनों और उस भूमि का अधिग्रहण करने का अधिकार देता है जिस पर वे बने हैं, यदि वहां रहने वाले 70 प्रतिशत लोग पुनर्स्थापन उद्देश्यों के लिए ऐसा अनुरोध करते हैं।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने 7:2 के बहुमत के फैसले में मंगलवार को कहा कि संविधान के तहत सरकारों को आम भलाई के लिए निजी स्वामित्व वाले सभी संसाधनों को अपने कब्जे में लेने का अधिकार नहीं है। हालांकि, भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि सरकारें कुछ मामलों में निजी संपत्तियों पर दावा कर सकती हैं।
प्रधान न्यायाधीश द्वारा सुनाये गये बहुमत के फैसले में न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर के पिछले फैसले को खारिज कर दिया गया जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत वितरण के लिए सरकारों द्वारा अधिगृहीत किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अपने और उस पीठ के छह अन्य न्यायाधीशों के लिए फैसला लिखा, जिसने इस जटिल कानूनी सवाल पर निर्णय किया कि क्या निजी संपत्तियों को अनुच्छेद 39 (बी) के तहत समुदाय के भौतिक संसाधन माना जा सकता है और आम भलाई के वास्ते वितरण के लिए सरकार के अधिकारियों द्वारा अपने कब्जे में लिया जा सकता है। इसने उन कई फैसलों को पलट दिया, जिनमें समाजवादी सोच को अपनाया था और कहा गया था कि सरकारें आम भलाई के लिए सभी निजी संपत्तियों पर कब्जा कर सकती हैं।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने प्रधान न्यायाधीश द्वारा लिखे गए बहुमत के फैसले से आंशिक रूप से असहमत जताई, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने सभी पहलुओं पर असहमति जतायी। फैसला अभी सुनाया जा रहा है। अनुच्छेद 31सी, अनुच्छेद 39(बी) और (सी) के तहत बनाए गए कानून की रक्षा करता है जो सरकार को आम भलाई के वास्ते वितरण के लिए निजी संपत्तियों सहित समुदाय के भौतिक संसाधनों को अपने कब्जे में लेने का अधिकार देता है।
शीर्ष अदालत ने 16 याचिकाओं पर सुनवाई की जिनमें 1992 में मुंबई स्थित प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन (पीओए) द्वारा दायर मुख्य याचिका भी शामिल थी। पीओए ने महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) अधिनियम के अध्याय 8-ए का विरोध किया है। 1986 में जोड़ा गया यह अध्याय सरकारी प्राधिकारियों को उपकरित भवनों और उस भूमि का अधिग्रहण करने का अधिकार देता है जिस पर वे बने हैं, यदि वहां रहने वाले 70 प्रतिशत लोग पुनर्स्थापन उद्देश्यों के लिए ऐसा अनुरोध करते हैं।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान दो चरणों में कराये जाने हैं। 13 और 20 नवंबर को मतदान होने हैं। ताजा घटनाक्रम में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइएम) ने संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया है। घोषणा पत्र में सरना धर्म कोड समेत कई बड़े वादे किये गये हैं।
बता दें कि इससे पहले भाजपा अपना घोषणा पत्र जारी कर चुकी है। पार्टी ने कहा है कि सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में दो लाख नौकरियों का सृजन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जायेगी। घोषणा पत्र जारी होने के मौके पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी मौजूद रहे।
झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद), वाम दल और गठबंधन पार्टियों के सहयोगी नेता भी मौजूद रहे। चुनावी घोषणा पत्र को गठबंधन ने न्याय पत्र का नाम दिया है। इसमें सात गारंटियों का जिक्र किया गया है। घोषणा पत्र पर एक वोट सात गारंटी लिखा गया है।
घोषणा पत्र जारी होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि गठबंधन में शामिल दलों की सरकार बनने पर सरना घर्म कोड, सामाजिक न्याय की गारंटी सुनिश्चित की जायेगी। सरना धर्म कोड के तहत स्थानीय नीति बनाने का वादा भी किया है। सात किलो प्रति व्यक्ति राशन वितरण और 450 रुपये में गैस सिलिंडर दिलाने का दावा भी किया है।
टीम एबीएन, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के बीच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अवैध खनन मामले में झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार में 17 ठिकानों पर छापेमारी की है। इसमें झारखंड के 3 जिले शामिल हैं। केंद्रीय एजेंसी ने जिन लोगों के यहां रेड मारी है, वे सभी पंकज मिश्रा के करीबी बताए जा रहे हैं।
सीबीआई ने छापेमारी के दौरान अलग-अलग जगहों से 30 लाख रुपए जब्त की है। टीम झारखंड के साहिबगंज, पाकुड़, राजमहल, कोलकाता और पटना में छापेमारी की। साहिबगंज में सीबीआई ने 7 ठिकानों पर छापेमारी की। जिनके यहां छापेमारी हुई, उसकी पूरी लिस्ट इस प्रकार है :
एबीएन सेंट्रल डेस्क। सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत एक खास बदलाव के बारे में विचार कर रही है। इस संगठन के तहत आने वाले स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) में टैक्स फ्री (tax free) योगदान की सीमा को मौजूदा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाने पर विचार कर रही है।
मौजूदा समय में 2.5 लाख रुपये से अधिक अर्जित कोई भी ब्याज टैक्स के तहत आता है। इस पहल का उद्देश्य निम्न-मध्यम और मध्यम आय वाले व्यक्तियों को EPFO के माध्यम से अपनी बचत बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इससे रिटायरमेंट मे लिए ज्यादा फंड जुटाने में मदद मिलेगी।
एक रिपोर्ट के तहत मामले से परिचित सूत्रों ने संकेत दिया है कि श्रम मंत्रालय वर्तमान में इस प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है और वित्त वर्ष 2026 के बजट विचार-विमर्श के दौरान वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा कर सकता है।
VPF वेतनभोगी कर्मचारियों द्वारा अनिवार्य ईपीएफ के अतिरिक्त किया जाने वाला एक वैकल्पिक निवेश है। इसे EPF के विस्तार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो कर्मचारियों को अपनी रिटायरमेंट सेविंग बढ़ाने और अपने मूल PF जमा के समान ब्याज दर अर्जित करने की अनुमति देता है। EPF की तरह, VPF में योगदान भी चक्रवृद्धि ब्याज के हिसाब से बढ़ता है, क्योंकि रिटर्न सालाना आधार पर जारी किया जाता है।
यह भी ईपीएफओ के तहत ही आता है। VPF कस्टमर्स के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि पांच साल की न्यूनतम अवधि पूरी करने से पहले की गयी कोई भी निकासी टैक्सेशन के अधीन हो सकती है। ईपीएफ की तरह, VPF फंड रिटायरमेंट, इस्तीफे या खाताधारक की मृत्यु की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर उनके नामित व्यक्ति को दिये जाते हैं।
VPF की एक खासियत ये भी है कि यह सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजना है, जिसमें जोखिम कम और रिटर्न ज्यादा है। इसमें किया जाने वाला योगदान किसी कर्मचारी द्वारा उसके ईपीएफओ अकाउंट में किए गए 12 प्रतिशत योगदान से ज्यादा है। अधिकतम योगदान मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 100 प्रतिशत तक है। इस योजना के तहत ईपीएफ के समान ही ब्याज मिलता है।
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