टीम एबीएन, रामगढ़। झारखंड के रामगढ़ जिला स्थित माता के सिद्ध पीठ छिन्नमस्तिका एवं पर्यटन स्थल पतरातू में नये वर्ष में उन्हीं को प्रवेश मिलेगा जिन्होंने कोविड-19 रोधी टीके कम से कम एक खुराक ले ली है। रामगढ़ की उपायुक्त माधवी मिश्रा ने शुक्रवार को पतरातू एवं छिन्नमस्तिका धाम का दौरा कर मौके पर पूरी व्यवस्था की समीक्षा की और दिशानिर्देश जारी कर लोगों से नए वर्ष का आनंद लेने के साथ ही कोरोना वायरस के दिशा-निर्देशों का पालन करने की भी अपील की। उपायुक्त ने निर्देश दिया है कि जिन लोगों ने टीकाकरण नहीं कराया होगा उन्हें इन दोनों प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तथा पर्यटक स्थलों पर प्रवेश नहीं दिया जाए। उन्होंने इन स्थानों पर मास्क भी अनिवार्य किया है, साथ ही इन दोनों स्थानों पर टीकाकरण का भी प्रबंध करने को कहा है जिससे, जिन लोगों को टीका नहीं लगा हो वह यहां अपना टीकाकरण भी करवा सकते हैं। ज्ञातव्य है कि नये वर्ष में राज्य के इन दोनों धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है।
एबीएन डेस्क, रांची। झारखंड स्टेट बार काउंसिल की बैठक गुरुवार को अध्यक्ष राजेन्द्र कृष्ण के नेतृत्व में बार काउंसिल कार्यालय में हुई। जिसमें कई बिन्दुओं पर चर्चा हुई। बैठक में उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ला, बार काउंसिल के सदस्य प्रशांत सिंह, सदस्य संजय कुमार विद्रोही समेत सभी सदस्य शामिल थे। बैठक में आपसी सहमति के बाद कई निर्णय पारित किए गए। इसमें वकालतनामा को केन्द्रीकृत करने पर निर्णय पारित हुआ। अर्थात् राज्य भर में वकालतनामा की कीमत एक समान होगी। इसके लिए एक सब-कमेटी का गठन किया जाएगा। प्रत्येक वकालतनामा पर वेलफेयर स्टांप चिपकाना अनिवार्य कर दिया गया है। स्टांप नहीं चिपकाने पर वकील एवं नोटरी पब्लिक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। दोषी पाने पर लाइसेंस भी रदद् किया जा सकता है। अध्यक्ष को सब-कमेटी गठन करने का अधिकार पास हुआ। फंड की स्थिति बेहतर रहने पर पेंशन सात हजार से बढ़ाकर 10 हजार रुपये करने पर सहमति बनी। एडवोकेट क्लर्क स्टांप का बार काउंसिल से मंजूरी मिल गयी है। राज्य सरकार के निर्णय में देरी हो सकती। इसको देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पूरे राज्य में प्रारंभ किया जाएगा। स्टेट बार काउंसिल बिल्डिंग का निर्माण जल्द से जल्द कराने पर निर्णय लिया गया। पेंशन, स्टाइपेन एवं डेथ क्लेम का आवेदन का सत्यापन स्टेट बार काउंसिल करेगा। इसके लिए 30 दिनों की समय सीमा निर्धारण किया गया है। सत्यापन के बाद आवेदन को ट्रस्टी कमेटी के पास भुगतान के लिए भेजा जाएगा।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। पश्चिम बंगाल सरकार ने यूके से कोलकाता हवाई अड्डे के लिए आने वाली सभी उड़ानों को निलंबित करने का फैसला किया है। राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के मुताबिक 3 जनवरी से यूके से कोलकाता आने वाली सभी उड़ानों पर बैन रहेगा। बंगाल के अपर मुख्य सचिव बी पी गोपालिका द्वारा नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव राजीव बंसल को लिखे पत्र में उन्होंने राज्य सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा, मुझे आपको सूचित करना है कि विश्व स्तर पर और साथ ही देश के भीतर ओमिक्रॉन मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, राज्य सरकार ने अस्थायी रूप से और अगले आदेश तक 3 जनवरी, 2022 से यूनाइटेड किंगडम से कोलकाता के लिए सभी सीधी उड़ानों को निलंबित करने का निर्णय लिया है। यूके भारत सरकार द्वारा अधिसूचित एक जोखिम वाला देश है, इसलिए यहां से राज्य में उड़ानों को अनुमति नहीं दी जाएगी और जारी किए गए किसी भी एनओसी को वापस ले लिया जाएगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि क्रिसमस पर उमड़ी भारी भीड़ के कारण कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलना शुरू हो गया है। नए साल पर यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। गौरतलब है कि क्रिसमस व नए साल के मद्देनजर बंगाल में फिलहाल नाइट कफ्र्यू में ढील दी गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सावधान करते हुए कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए अविलंब कड़े कदम उठाने की जरुरत है। कोलकाता से सटा उत्तर 24 परगना जिला 145 मामलों के साथ कोरोना संक्रमण के मामले में फिलहाल दूसरे स्थान पर है जबकि तीसरे स्थान पर हावड़ा (79) है। इसके बाद दक्षिण 24 परगना (60) और हुगली (59) का स्थान है। मुर्शिदाबाद, झारग्राम, पुरुलिया, अलीपुरदुआर, दक्षिण दिनाजपुर व कलिंपोंग में कोरोना अभी पूरी तरह नियंत्रण में है। वहीं पूर्व मेदिनीपुर, झारग्राम, दार्जिलिंग, दक्षिण दिनाजपुर, हुगली, मालदा, जलपाईगुड़ी, बांकुड़ा और पुरुलिया में कोरोना से मौत का सिलसिला थमा है। कोलकाता में कोराना से अब तक 3,04,720 लोग संक्रमित हुए हैं और 5,611 लोगों की मौत हुई है। उत्तर 24 परगना जिले में कोरोना से अब तक 5,012 लोगों की मौत हुई है। बंगाल में कोरोना से स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर 16,32,956 हो गई है। स्वस्थ होने वालों की दर 98.32 प्रतिशत है। इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर इसकी रोकथाम के लिए कदम उठाने को कहा है। सूबे के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को संबोधित इस पत्र में कहा गया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने गत 21 दिसंबर को राज्यों को सलाह दी थी कि वे नाइट कर्फ्यू व बड़े समारोहों को नियंत्रित करने जैसे प्रतिबंध लागू करें। बेड की क्षमता बढ़ाएं और कोरोना से संबंधित स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों को कड़ाई से लागू करे।
रांची (मुरलीधर)। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से जुड़े चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले (आरसी 47ए/96) में नये साल के जनवरी महीने में फैसला आने की पूरी संभावना है। लालू प्रसाद की ओर से जारी बहस लगभग पूरी हो चुकी है। अन्य 99 आरोपियों की ओर से बहस पूरी कर ली गयी है। शेष तीन आरोपियों की बहस की जानी शेष है। बहस पूरी होते ही मामला फैसला पर चला जाएगा। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के दिशा निर्देश पर सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में रोजाना हो रही है। इस साल का अंतिम दिन गुरुवार रहेगा। इसके बाद अदालत तीन जनवरी से मामले में सुनवाई करेगी। डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़े मामले में 102 आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं। सीबीआई ने प्रारंभ में लालू प्रसाद, डॉ। जगन्नाथ मिश्र समेत 176 को आरोपी बनाया था। आरोप तय होने के दौरान इसकी संख्या घटकर 148 हो गयी। 25 वर्षों में इसकी संख्या घटकर वर्तमान में 102 रह गयी है। हाल ही में चार आरोपियों का निधन हुआ था। इतना ही नहीं कई आरोपी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। अब देखना है कि फैसला आते-आते आरोपियों की संख्या में कितनी कमी आएगी। बता दें कि लालू प्रसाद से जुड़े पांचवें व अंतिम मामले में रांची की सीबीआई की अदालत में सुनवाई चल रही है। साथ ही चारा घोटाले के 53 मामलों में से 51 मामले में फैसला आ चुका है। वहीं डोरंडा कोषागार लगभग 36.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले (आरसी48ए/96) में आरोपियों के बयान दर्ज किये जा रहे हैं।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। केंद्र ने मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को कोविड-19 टीके की एहतियाती खुराक (तीसरी खुराक) लगाते समय चिकित्सक से प्राप्त कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने या सौंपने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे व्यक्तियों से अपेक्षा की जाती है कि वे एहतियाती खुराक या तीसरी खुराक लेने का निर्णय लेने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह लें। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि चुनाव वाले राज्यों में चुनाव ड्यूटी पर तैनात किए जाने वाले कर्मियों को अग्रिम पंक्ति के कर्मियों की श्रेणी में शामिल किया जाएगा। भूषण ने कहा कि एहतियाती खुराक (प्रीकॉशन डोज) के लिए ऐसे लाभार्थियों की पात्रता दूसरी खुराक के लेने की तारीख पर आधारित होगी, जैसा कि कोविन प्रणाली में दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि एहतियाती खुराक दूसरी खुराक लेने की तारीख से नौ महीने या 39 सप्ताह पूरे होने पर ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि कोविन एहतियाती खुराक के लिए पात्र सभी लोगों को संदेश भेजेगा, जो डिजिटल टीकाकरण प्रमाणपत्रों में दिखाई देगा। भूषण ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एक कार्यशाला की अध्यक्षता की, जिसमें 15-18 आयु वर्ग के लिए टीकाकरण और स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कर्मियों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को एहतियाती तीसरी खुराक दिये जाने के संबंध में समीक्षा की गई। एक जनवरी से कोविन पर करवाएं पंजीकरण : उन्होंने कहा कि 15-18 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों को केवल कोवैक्सीन दी जानी है और टीके की अतिरिक्त खुराक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अगले कुछ दिनों में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ कोवैक्सीन की आपूर्ति का कार्यक्रम साझा करेगी। भूषण ने कहा कि संभावित लाभार्थी या तो एक जनवरी से कोविन पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं या तीन जनवरी से टीकाकरण शुरू होने पर केन्द्र में जाकर पंजीकरण करा सकते हैं। जिनका जन्म 2007 या उससे पहले हुआ है, वही लोग इस श्रेणी के तहत टीकाकरण के लिए पात्र होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, टीकाकरण के संबंध में सभी स्थापित प्रोटोकॉल का पालन 15-18 वर्ष आयु वर्ग के लिए किया जाना है। वे 28 दिनों के बाद ही दूसरी खुराक के लिए पात्र होंगे। भुगतान व फ्री टीके दोनों विकल्प में मौजूद : भूषण ने एक पत्र में कहा, सभी नागरिक अपनी आयु की स्थिति के बावजूद सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर मुफ्त कोविड-19 टीकाकरण के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि जो भुगतान करने की क्षमता रखते हैं वे निजी अस्पतालों के टीकाकरण केंद्रों में जाकर भी टीका लगवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि निजी केंद्र पर प्रत्येक टीके के लिए पहले घोषित मूल्य लाभार्थियों के इन समूहों के लिए लागू रहेगा। ऐसे सभी स्वास्थ्यकर्मी और अग्रिम पंक्ति के कर्मी, जो किसी भी कारण से वर्तमान में कोविन पर नागरिकों के रूप में पंजीकृत हैं और 60 वर्ष से कम आयु के हैं, उन्हें एहतियाती खुराक का लाभ उठाने के लिए उचित रूप से एचसीडब्ल्यू / एफएलडब्ल्यू को अपना दर्जा प्राप्त करना होगा। हालांकि, ऐसा करने के लिए उन्हें निर्धारित प्रारूप में रोजगार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। ये दिशा-निर्देश तीन जनवरी से लागू होंगे और समय-समय पर इनकी समीक्षा की जाएगी।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। भारत में कोरोना के दो और वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने कोवोवैक्स और कोर्बीविकेस को आपात स्थिति के लिए मंजूरी दी है। इसके अलावा एंटीवायरल दवा Molnupiravir को भी मंजूरी दी गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा कि कॉर्बेवैक्स वैक्सीन भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित RBD प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है। इसे हैदराबाद स्थित फर्म बायोलॉजिकल-ई में बनाया गया है। यह भारत में विकसित हुआ तीसरा टीका है। वहीं, कोवोवैक्स का निर्माण पुणे स्थित फर्म सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जाएगा। बता दें कि भारत में अभी तक कोरोना की आठ वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। इसमें भारत की स्वदेशी निर्मित वैक्सीन कोविशिल्ड और कोवाक्सिन भी शामिल हैं। भारत में सबसे ज्यादा कोविशिल्ड की खुराकें लगाई गई हैं। इस दोनों वैक्सीन को विश्व स्वास्थ संगठन की ओर से भी मंजूरी मिल चुकी है। इसके अलावा भारत में रूस की स्पुतनिक वी, स्पुतनिक लाइट, अमेरिकी की फाइजर की कोरोना वैक्सीन और जॉनसन एंड जॉनसन को भी आपात स्थिति के लिए अनुमति दी जा चुकी है। इसके अलावा जायडस कैडिला वैक्सीन की खुराक भी लोग ले रहे हैं।
रांची। झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने मॉब लिंचिंग अधिनियम को लेकर अपना पक्ष रखा। इसके लिए उन्होंने केंद्र की भाजपानीत सरकार को जिम्मेवार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया, भाजपा देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है। मॉब लिंचिग रोधी अधिनियम हिंदू, मुस्लिम या आदिवासी अधिनियम नहीं है क्योंकि भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता। भाजपा (जो रावण की तरह है) के केंद्र की सत्ता में आने और (उसके द्वारा) देश के सामाजिक तानाबाना को नष्ट करने वाला माहौल बनाने के बाद हम यह कानून लाने को मजबूर हुए। इस बीच, राज्य के जमशेदपुर से प्राप्त एक खबर के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने सोमवार को पूर्वी सिंहभूम जिले में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक कर कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर से निपटने के इंतजाम की समीक्षा की। एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने कहा कि कोविड-19 के ओमीक्रोन स्वरूप के मामले बढ़ने के बीच तीसरी लहर आने की स्थिति में महामारी से निपटने की पूरी तैयारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
एबीएन सेंट्रल डेस्क। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को 15 से 18 साल के बच्चों के वैक्सिनेशन को लेकर गाइडलाइंस जारी की हैं। इसी के साथ 60 साल से ऊपर के बीमार लोगों और हेल्थकेयर-फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए भी प्रिकॉशन डोज की रूपरेखा का एलान किया गया है। कोविन एप के फीचर्स में क्या बदलाव किए जाएंगे : हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से ऊपर के बीमारी से पीड़ित बुजुर्गों के लिए सभी हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से ऊपर के बीमारी से पीड़ित बुजुर्गों को कोरोना का डोज बुक करने की सुविधा उनके पुराने अकाउंट से ही मिल जाएगी। प्रावधान के मुताबिक, जिन लोगों को कोरोना की दूसरी डोज लगे कम से कम नौ महीने हो गए होंगे उन्हें ही कोविन सिस्टम पर प्रिकॉशन डोज के लिए योग्य माना जाएगा। अगर योग्य लाभार्थियों की प्रिकॉशन डोज का समय आ गया है, तो उन्हें इस बारे में याद दिलाने के लिए कोविन सिस्टम की तरफ से खुद एसएमएस भेजा जाएगा। वैक्सिनेशन के लिए आॅनलाइन या सीधे टीकाकरण केंद्र पर जाकर रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट बुक कराए जा सकते हैं। जिन लोगों को कोरोना की प्रिकॉशन डोज दी जाएगी, उनके कोरोनावायरस वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट में इसकी पूरी जानकारी मुहैया होगी। 15-18 साल वाले नए लाभार्थियों के लिए 15 साल से ऊपर के सभी किशोर कोविन पर रजिस्टर कर सकेंगे। दूसरे शब्दों में समझें तो जिन भी लोगों का जन्म 2007 से पहले हुआ है, वो टीके के लिए पात्र माने जाएंगे। लाभार्थी खुद ही रजिस्टर कर सकते हैं। आॅनलाइन तरीके से किसी के कोविन पर पहले से बने अकाउंट से भी या फिर अपना एक नया अकाउंट बनाकर। हालांकि, नए अकाउंट के लिए उन्हें किसी यूनीक नंबर से रजिस्टर करना होगा। यह सुविधा फिलहाल सभी नागरिकों के लिए दी गई है। इस तरह के लाभार्थी टीकाकरण केंद्र पर भी सत्यापन कराकर रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट ले सकते हैं। इस तरह के लाभार्थियों के लिए टीकाकरण का विकल्प सिर्फ कोवाक्सिन है, क्योंकि 15-17 आयु वर्ग के लिए फिलहाल सिर्फ इसी वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है।
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